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द गर्ल इन रूम 105

अस्सलामु अलैकुम, सौरभ भाई, केशव भाई मेरा नाम निज़ाम है, हाउसबोट के एंट्रेंस पर कोई तीसेक साल के. छोटे कद वाले एक आदमी ने हमारा स्वागत किया। उसकी दाड़ी थी और उसने स्कूल कैप पहन रखी थी।


'आइए, आइए, मेरे पीछे आइए। मैं आपको आपके रूम तक ले चलूंगा।' हमारी हाउसबोट श्रीनगर निटी सेंटर में झेलम नदी पर थी। बजीर बाग़ का इलाक़ा यहां से बहुत दूर नहीं था, जहां जारा ने अपना बचपन बिताया था। हाउसबोट कंपनी के पास ऐसे आधा दर्जन और शिकारे थे, और सभी में तीन से चार कमरे थे। ये शिकारे पानी पर तैरने वाले होटल की तरह थे। निज़ाम हमें कमरे में ले गया। यह

मेरे हॉस्टल रूम जितना ही बड़ा एक वुडन केबिन था। वहां पर एक डबल बेड था। "यह नहीं, ' मैंने कहा 'मुझे सेप्रेट ट्विन बेड वाला रूम चाहिए।

आइए, अगली बोट में एक और रूम है।' "हमें अपने लिए अलग-अलग रूम बुक करने चाहिए थे, ' मैंने कहा।

"और डबल खर्चा उठाना चाहिए था?' सौरभ ने कहा। शायद, पैसा प्राइवेसी से ज्यादा ज़रूरी था।

*मेरा फ़ोन नहीं चल रहा है, 'मैंने कहा। "नया सिम कार्ड एक हफ्ते में एक्टिवेट हो जाएगा।'

"क्या?"

'हिंदुस्तान की सरकार के नियम हैं। हम क्या कर सकते हैं? उनकी जो मर्जी होती है, वही करते हैं, निजाम

ने कहा।

'तो हम लोगों से बात कैसे करेंगे?'

निजाम ने सौरभ से कहा, अपने बिजी दोस्त से कहिए कि रिलैक्स हो जाएं। आप लोग यहां छुट्टियां मनाने आए हैं।'

'हा, लेकिन कनेक्शन की ज़रूरत तो छुट्टी में भी होती है।'

"आम तौर पर यहां कपल्स ही आते हैं, और उन्हें अपने लिए अलग बेड्स की जरूरत नहीं होती। लेकिन 'आप लोगों को जो भी चाहिए, निज़ाम आपकी खिदमत में हमेशा मौजूद रहेगा, ' निजाम ने कहा। "बोट में वाई-फ़ाई है। उसका पासवर्ड बेडसाइड टेबल पर है। ' "और फोन कॉल्स क्या यहां पर सिम लेने का कोई और तरीका नहीं है?" निज़ाम ने जेब से अपना फोन निकाला और कहा, 'ये लीजिए, इसका सिम निकालिए और इस्तेमाल उसने भी इस झील के पानी को हुआ था? मैं सोचता रहा। "हम जल्द ही पता लगा लेंगे।" कुछ कश्मीरी किशोर हमारे पास से गुजरे। वे एक बेंच पर जाकर बैठ गए और अपने फोन में व्यस्त हो गए।

'आपका सिम निज़ाम भाई?' सौरभ ने कहा

कीजिए।" 'ये मेरा एक्स्ट्रा फ़ोन है। इसी समस्या से बचने के लिए हम दो-तीन अतिरिक्त फोन रखते हैं।'

'जारा ने मुझे अपने बचपन के घर के बारे में बताया था। हमें सिकंदर की तलाश करने कल वहीं जाना है, मैंने

कहा। हम डल झील पर ईवनिंग वॉक के लिए आए थे। में यह भूलने की कोशिश कर रहा था कि में जारा के शहर में हूँ, वो जगह, जहां पर वह हंसते-खेलते बड़ी हुई। क्या उसने भी इसी ठंडी हवा का अनुभव किया था? क्या

"सफ़दर ने तुमको ठीक पता बताया था?' सौरभ ने कहा । 'हां, दिया तो था, लेकिन अगर सिकंदर अपने परिवार के साथ वज़ीर बाग़ छोड़कर कहीं और चला गया होगा तो उसे ढूंढने का कोई तरीका नहीं होगा।'

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